गणपत बहुत निर्धन व्यक्ति था। उसे कभी कबार अपने गांव के आसपास ही मेहनत मजदूरी का काम मिल जाता था।
गणपत के लिए अपने बीवी बच्चों को दो टाइम का भोजन खिलाना भी बहुत मुश्किल होता था। इस वजह से गणपत हमेशा दुखी और निराश रहता था।
गणपत सीधा साध भोला वाला पुरुष था। गणपत ने बचपन से युवा अवस्था तक अपने गांव के अलावा ना कोई गांव देखा था ना कोई शहर।
गणपत के भोलेपन का कोई भी व्यक्ति आसानी से लाभ उठा लेता था।
एक दिन बहुत ढूंढे के बाद गणपत को मेहनत मजदूरी का कोई भी काम नहीं मिलता है, तो गणपत अपने घर के आंगन में लगे पेड़ के नीचे चारपाई बिछा कर निराश उदास बैठ जाता है। तो उसी समय गांव का एक युवक हंसी मजाक में गणपत के पास आकर कहता है कि "अगर तुझे धनी बनना है तो अपने घर कि दीवारों पर रंग बिरंगी मोटी मोटी लकीर खींच लो।"
और वह व्यक्ति गणपत से यह हंसी मजाक करके गांव के अपने दोस्तों को बताता है कि "आज मैंने गणपत से एक अनोखा मजाक किया है ।"
लेकिन गणपत को उस व्यक्ति की सलाह आसानी से धनी बनने के लिए बहुत अच्छी लगती है। इसलिए गणपत रात दिन मेहनत करके पैसे इकट्ठा करता है। और पैसे इकट्ठे होने के बाद अलग-अलग रंग के डिब्बे लाता है। और अपने पूरे मकान की दीवारों पर लाल पीले हरे गुलाबी रंग से मोटी मोटी लकीरें खींच देता है। रंग बिरंगी लकीर खींचने के कारण गणपत का मकान गांव के सब मकानों में सबसे सुंदर दिखने लगता है।
फिर दूसरे दिन से ही अपने घर के आंगन के पेड़ के नीचे चारपाई लगाकर धनी होने का इंतजार करने लगता है। गणपत रोज धनी होने का इंतजार करता था ऐसा करते-करते उसे एक महीना बीत जाता है।
एक महीना बीतने के बाद भी जब वह निर्धन से धनी नहीं होता तो गणपत गांव के उसी व्यक्ति के घर जाता है कि शायद मुझसे रंग बिरंगी लकीर खींचने में कुछ गलती तो नहीं हो गई है। इसलिए मैं धनी नहीं हो पा रहा हूं।
वह व्यक्ति गणपत की सारी बात सुनने के बाद गणपत से माफी मांगता है और कहता है कि "गणपत भाई मैंने तो आपसे छोटा सा मजाक किया था और आपने मेरे मजा तो सच मान लिया। मैं अपनी गलती के लिए आपसे क्षमा मांगता हूं।"
गणपत उस आदमी की यह बात सुनकर बहुत निराश हो जाता है और घर आकर घर के आंगन के पेड़ के नीचे से चारपाई उठा कर घर में ले जाकर उस चारपाई पर भूखा प्यासा सो जाता है।
सुबह गणपत के माकन का एक शहरी व्यक्ति दरवाजा खटखटाता है। उसके हाथ में एक काले रंग की अटैची भी थी। गणपत की पत्नी जैसे ही दरवाजा खोल कर उस शहरी व्यक्ति से बात करने लगती है, तो अपनी पत्नी और शहरी व्यक्ति की आवाज सुनकर गणपत भी वहां आ जाता है। और वह व्यक्ति गणपत और उसकी पत्नी से कहता है कि "हमारे डायरेक्टर साहब को आपका मकान और मकान की लोकेशन अपने टीवी सीरियल की शूटिंग के लिए बहुत पसंद आई है। वह कई वर्षों तक आपके मकान में शूटिंग करना चाहते हैं।"
"और अटैची में से एग्रीमेंट के पेपर और बहुत से रुपए निकालकर गणपत को देता है। और कहता है कि इस एग्रीमेंट की पेपर पर साइन करके एडवांस ले लो।"
गणपत मकान पर रंग बिरंगी लकीर खींचने के कर्म और अपनी तकदीर की वजह से निर्धन से धनी हो जाता है।
ऋषभ दिव्येन्द्र
21-Apr-2023 01:56 PM
वाह, बहुत खूब
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Reena yadav
21-Apr-2023 09:34 AM
👍👍
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Punam verma
21-Apr-2023 07:52 AM
Wah very nice
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